मानव में शरीर का नियंत्रण प्रकृति से होता है परन्तु उसका केन्द्र जो आत्मा में है, वह सर्व नियंत्रक है अत: सन्तों और भक्तों का विश्वास है कि परमात्मा की प्रार्थना से शरीर के समस्त रोग ही नहीं, विश्व के समस्त दोषों का परिहार हो सकता है। इस युग में महात्मा गांधी जी ने भी प्रार्थना की शक्ति पर प्रकाश डाला है। अत: भगवतप्रार्थना से रोगों के उपचार की बात भी इस ग्रन्थ में की गई है। इस पुस्तक के 25 अध्यायों में जिस तरह अत्यंत व्यस्थित रूप से पंच तत्वों, योग और उपवास आदि की उपादेयता को शब्द दिये हैं, उसकी जितनी सराहना की जाये, कम होगी।