कैंसर शब्द का अर्थ एक विशेष प्रकार के अर्बुद के साथ संबंधित है, जिसका फैलाव केकड़ा के पंजा के रूप में चारों तरफ फैलता दिखता है। इससे इसको कर्कटार्बुद भी कहते हैं। धातुओं की अस्वाभाविक, अप्राकृतिक वृद्धि से होता शोध व गांठ को कैंसर कहते हैं। जूना व्रण के रूप में कोई भी ग्रंथि अथवा अंग को आश्रयस्थान बनाकर धीरे-धीरे या शीघ्रता से, दोष के अनुसार बढ़ता है और दाह-शूल वगैरह उपद्रव उत्पन्न करता है। सभी धातुओं में इसके कोषाणु प्रवेश करते जाते हैं अथवा रक्त या लसिका प्रवाह द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचकर कैंसर को जन्म देता है। दोषों के अनुसार उसका आकार-प्रकार लक्षण वगैरह प्रकट होते हैं।