इस ग्रंथ में 101 रोगों की जानकारी दी गई है। जीवन के सभी पहलुओं पर सार्थक प्रकाश डाला गया है। इनमें से अधिकांश रोगों को दो सालों से लोक सभा टी.वी पर 'रोग निरोग' कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रसारित किया जाता रहा है। यह प्रसारण अनेक लोगों ने देखा और सराहा। यह भी एक कारण इसके लिखे जाने का रहा है। प्रस्तुत ग्रंथ में आठ खण्ड बनाए गए हैं। उनके नाम संस्कृत में रखे गए हैं। प्रथम खण्ड में शरीर के महत्त्वपूर्ण अंग आमाशय, लीवर, हृदय, फेफड़े, पित्ताशय, अग्न्याशय, गुर्दे तथा लार ग्रन्थियां, हाइपोथेलेमस ग्रन्थि, पीनियल ग्रंथि, पिच्युटरी ग्रंथि, थॉयराइड ग्रंथि थाइमस ग्रंथि, एड्रीनल ग्रंथि, पौरुष ग्रंथि, अण्डकोश तथा डिम्ब ग्रंथि को सचित्र समझाया गया है। प्रणालियों की विस्तार से अभिव्यक्ति की गई है, जैसे- श्वसन प्रणाली, पाचन प्रणाली, प्रतिरोधक प्रणाली, रक्त संचार प्रणाली को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। शरीर का उचित ज्ञान रोग निवारण में सहायक सिद्ध होता है। चित्रों से उनकी अच्छी तरह से जानकारी हो पाती है।