प्राकृतिक खान-पान शरीर के हर तत्व को सन्तुलित रखते हैं। सन्तुलन बनाये रखने में विटामिन, खनिज और लौह तत्व का महत्वपूर्ण स्थान होता है और ये तत्व प्राकृतिक चीजों में पाये जाते हैं। आज का जमाना तली हुई, वसायुक्त तथा मसालेदार खानपान का हो गया है और लोग मीठी (अधिकतर शक्कर से बनी हुई) चीजें तो इतनी खाते हैं कि हर चीज में मीठा आता है। मिठाइयों की दुकानें जगह-जगह खुल गई हैं। मिठाइयां, ठण्डा पीना, केक, चॉकलेट वगैरह हर चीज में शक्कर तो डलती ही है और तो और पहले मन्दिरों में नारियल, गुड़-चना, सूखा मेवा, घर पर बने हुए गुड़ में बने लड्डू, चने की दाल-मिश्री, साथ ही दक्षिण के मन्दिरों में आज भी चावल से बनी वस्तुओं का भोग लगाया जाता है, परन्तु अब उन मन्दिरों में भीप्रसाद के नाम पर सूखे मेवे और शक्कर डालकर बनाये हुए लड्डुओं का भोग लगने लगा है।