हिन्दी तथा अन्यान्य भाषाओं के व्याकरणों से उचित सहायता लेने पर भी इस पुस्तक में जो विचार प्रकट किए गए हैं और जो सिद्धांत निश्चित किए गए हैं, वे साहित्यिक हिंदी से ही सम्बन्ध रखते हैं और उन सबके लिए मैं ही उत्तरदाता हूं। यहां यह कह देना अनुचित न होगा कि हिन्दी व्याकरण की छोटी-मोटी कई पुस्तकें उपलब्ध होते हुए भी हिन्दी में, इस समय अपने विषय और ढंग की यही एक व्यापक और (सम्भवत:) मौलिक पुस्तक है। Very good book for learning hindi language and grammar.