आप दुनिया के सभी दीर्घजीवी महापुरुषों के जीवन का अध्ययन कीजिए। यही एक बात सामने आती है कि उनमें से कोई भी बिस्तर पर लेटे रहने वाला या अपनी खाट पर चुपचाप सिर झुकाकर बैठे हुए समय गुजारने वाला नहीं था। वे लोग एक के बाद एक नई-नई जिम्मेदारियां हाथ में लेकर उन्हें पूरा करने वाले समर्पित लोग थे। किसी बड़े काम की धुन में वे अपनी व्यक्तिगत समस्याओं और पीड़ाओं को भुलाए हुए थे। गांधी हो या ाटूल्सटॉय, बट्रेंण्ड रसे हो, खान अब्दुल गफ्फार खां हो या राजगोपालाचारी ये सभी लोग आखिरी सांस तक क्रियाशील बने रहे। The book enlightens the life of an individual by overcoming his anger, distress and jealousness by having an positive attitude towards life.