सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक और सूर्यास्त से लेकर पुन: सूर्योदय तक हर एक ऋतु का चलना अलग, बोलना अलग और जीना अलग है। प्रत्येक ऋतु छोटा घास के पत्ते से लेकर, नमुष्य से लेकर, पंखों में बदल होते गुरुड़ तक सभी पर स्वयं का प्रभाव डालती है। प्रत्येक ऋतु का शास्त्र है। प्रत्येक ऋतु एक कला है। प्रत्येक ऋतु का जन्म है, उसी तरह मृत्यु भी है, फिर से जन्म, जवानी और मृत्यु। और इसके साथ ही प्रत्येक ऋतु की मृत्यु में उसके बाद की ऋतु का जन्म है। The book describes treatment to the diseases which occur as per different seasons.