नीम का वृक्ष प्रकृति का अनुपम वरदान तथा ईश्वर की अनोखी देन है । इसे धरती पर अमृततुल्य मन जाता है । नीम स्वस्थ्य का खज़ाना है । इसके पंचांग - फल, फूल, पत्ती, बीज और छाल का चिकत्सीय प्रयोग होता है । इसे संजीवनी बूटी भी कहा जाता है । यह त्रिदोष दूर करने की अद्भुत क्षमता रखता है । मधुमेह, गठिया, चर्म रोग, पथरी, दांतों में दर्द, पीलिया इत्यादि में नीम लाभदाय है । नीम का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है । पीपल को सब वृक्षों में सर्वश्रेष्ठ होने से वृक्षराज व धर्मवृक्ष कहा जाता है । इसका प्रयोग अपच, अनिद्रा, कब्ज़, दन्त रोग, मलेरिया, सिर दर्द, टॉन्सिल आदि रोगों में किया जाता है । बरगद का वृक्ष महात्मा बुद्ध का निवास स्थान था, अतः इसे बोधि वृक्ष भी कहते हैं । गुर्दे की सूजन, जलने पर, मासिक धर्म, गंजापन, मूत्र रोग, बवासीर, स्मरण शक्ति आदि में बरगद लाभदायक है । नीम, पीपल और बरगद - इन तीनों को सामान गुणी होने के कारण त्रिवेणी कहा जाता है।