आयुर्वेद के अनुसार बहेड़े का फल रूक्ष एवं लघु गुण वाला होता है। रस में यह कषाय (कसैला) होता है। इसका विपाक मधुर होता है। वीर्य (तासीर) में यह गरम होता है। बहेड़ों की छाया में पाए जाने वाले स्वास्थ्य रक्षक गुणों के कारण ही इसे आजकल सड़कों के दोनों किनारों पर बहुतायत के साथ लगाया जाता है। आयुर्वेद के आधार ग्रंथ चरक संहिता में बहेड़ा के विषय में बड़ी ही खूबसूरती के साथ कहा गया है कि बहेड़ा रस, रक्त, मांस तथा मेद धातु में पैदा होने वाले विकारों को बखूबी नष्ट करता है। This book from 'Ghar Ka Vaid' series explain the importance, different types and details of the subject. A disease-wise description helps the reader in overcoming his illness.