मानव शरीर के सारे अंग अलग-अलग होते हुए भी एक-दूसरे से पूरा सहयोग व तालमेल रखते हैं। शरीर के किसी अंग में कोई पीड़ा या कष्ट होने पर सभी अवयव अपना-अपना कार्य छोड़कर पहले उस रोगग्रस्त अंग की सेवा में जुट जाते हैं यानी कुदरत ने अपने द्वारा निर्मित मानव मशीन की देखभाल के लिए स्वयंचालिक व्यवस्था कर रखी है। यदि हम प्रकृति के अनुसार विहार करें तो हम निरोगी रह सकते हैं। इसको संभालकर रखना हमारा कर्तव्य भी है तथा स्वयं के लिए उचित भी, क्योंकि शरीर रक्षा में ही जीवन है। A very good book with to the point explaination of the disease and their treatement.