महिलाओं को चाहिए कि गर्भधारण के उपरांत वे अपने तन-मन के स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान रखें, क्योंकि माता के शोणित (खून) से ही भू्रण का पोषण होता है। इसलिए माता का आहार शुद्ध, सात्विक, सुपाच्य एवं पौष्टिक होना चाहिए। माता ही है जो संतान के जीवन का शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक संवर्धन कर एक ऐसे समाज की रचना करती है जिसकी महक से न केवल परिवार और समाज ही नहीं सुवासित होता है, अपितु स्वस्थ राष्ट्र का भी निर्माण होता है। Its a very good book for pregnant ladies and brought up of infants.