प्रत्येक वस्तु का इतिहास होता है। हिन्दी साहित्य का भी अपना इतिहास है। कोई भी इतिहास अचानक से अपने विकास की चरम स्थिति में नहीं पहुंच पाता, इसके लिए विभिन्न इतिहासकारों की सामग्री संकलन, वर्गीकरण, विश्लेषण, संश्लेषण आदि प्रक्रियाओं का मार्ग तय करना पड़ता है। इस इतिहास लेखन के कार्य में व्यक्ति-विभिन्नता के कारण मत-भिन्नता और विविधता का आना स्वाभाविक है। A very popular books useful for all students appearing in competitive exams.