मनुष्य के शरीर में उध्र्व, अधो और स्तब्ध वायु का प्रमाण बढ़ जाये तब अनेक रोग पैदा होते हैं। जो लोग बैठाडु जीवन जीते हैं, भारी और तला हुआ पदार्थ ज्यादा मात्रा में लेते हैं, मेदस्वी शरीर होता है और रात को देर तक जागकर, बीच में (भजिया, गाठिया वगैरह) कुछ न कुछ खाते रहते हैं, उनको गैस होने की शक्यता रहती है। इनसे बचने के लिए आहार का जितना महत्व है, उतना ही विहार का है। सिर्फ दवा ही लेने का, इसके बदले चिंतामय और बैठाडु जीवन का त्याग, योगासन तथा कुदरती आवेगों का तात्कालिक प्रतिसाद इसका सही इलाज है।