आसन का अभ्यास इसलिए है कि साधक अपने को स्वस्थ रखते हुए प्राणो ंकी गति को अध्यात्म की दिशा में एक गति प्रदान कर सके। पर आज की दृष्टि से आसनों का महत्व अन्य भीहै। हम अपने को शारीरिक स्तर पर स्वस्थ कैसे रख सकें? क्या आसन इसमें अपना सहयोग प्रदान कर सकते हैं? यही पुस्तक में बताया गया है।