आधुनिक समय में रोगी की प्रवृति में आये बदलाव के कारण ऐसी अवस्थाओं से प्रभावित लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है जिसकी सम्पूर्ण चिकित्सा में फिजियोथेरापी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मगर हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में फिजियोथेरापी से सम्बन्धित साहित्य उपलब्ध नहीं है। हिन्दी भाषा में अपनी तरह की इस पहली पुस्तक का उद्देश्य जनसाधारण को फिजियोथेरापी के विभिन्न आयामों से परिचित कराना है। सामान्य बोलचाल की शैली में लिखी गयी इस पुस्तक में फिजियोथेरापी के महत्वपूर्ण पक्षों को रेखांकित करने वाले 25 आलेख हैं जो दो खंडों में व्यवस्थित हैं।