इस पुस्तक में हठयोग रचयिताओं द्वारा प्रणीत प्राणायाम के आठों प्रभेदों का समावेश किया है और मुनि पतंजलि द्वारा सिखाये गये चार प्रकारों का कुछ संक्षेप में उल्लेख मात्र किया है। श्वसन नामक दीर्घ अध्याय तथा प्राणायाम के शरीर क्रियात्मक और आध्यात्मिक मूल्य नामक लेख, जो प्राणायाम विषयक आवश्यक पृष्ठभूमि प्रस्तुत करने के कारण विषय का महत्वपूर्ण अंग है और जिसको दूसरे भाग में समाविष्ट नहीं किया गया था, इस पुस्तका में पूर्ववत ही समाविष्ट रखा गया है।