शिवसंहिता न केवल एक संस्कृत ग्रंथ है अपितु यह योगसाधना का एक व्यावहारिक ग्रंथ भी है। इस महत्वपूर्ण ग्रंथ को प्रकाशित करके प्रकाशकों ने योग साधकों तथा जिज्ञासुओं को उपकृत किया है। प्रस्तुत प्रकाशन के कारण उन पूर्व प्रकाशित ग्रंथों की उपयोगिता अथवा महत्ता न्यून नहीं होती। तथापि योग की दिनानुदिन लोकपिय्रता, उसके प्रति जिज्ञासा तथा अनुसंधानकर्ताओं के दृष्टिकोण से इन पूर्व प्रकाशित शिव संहिता के संस्करणों को समग्र रूप में परिपूर्ण नहीं माना जा सकता।