योगबीज ग्रन्थ की रचना कब और किसके द्वारा हुई है, इस विषय में प्रमाणपूर्वक कुछ भी कह पाना अद्यावधि सम्भव नहीं है। यह स्वतंत्र गवेषणा का विषय है किन्तु इतना निश्चित कहा जा सकता है कि यह ग्रन्थ गुरु परम्परा में पर्याप्त समय से प्रचलित रहा है और इसका उल्लेख समय-समय पर नवीन और प्राचीन आचार्यों ने अनेक बार किया है। ग्रन्थकार की मान्यता है कि मोक्ष के मार्ग यद्यपि अनेक कहे जाते हैं, किन्तु वास्तविकता यह है कि उसकी प्राप्ति सहज भाव से केवल सिद्धि मार्ग अर्थात योग साधाना के द्वारा ही हो सकती है।